5 Tips about Hindi poetry You Can Use Today

स्वतंत्रता है तृषित कालिका बलिवेदी है मधुशाला।।४५।

मिले न, पर, तरसा तरसाकर क्यों तड़पाता है प्याला,

कभी न कोई कहता, 'उसने जूठा कर डाला प्याला',

द्रोणकलश जिसको कहते थे, आज वही मधुघट आला,

दुनिया भर की ठोकर खाकर पाई मैंने मधुशाला।।७२।

मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।४७।

सूर्य बने मधु का विक्रेता, सिंधु बने घट, जल, हाला,

वीणा झंकृत होती, चलती जब रूनझुन साकीबाला,

इतनी पी जीने से अच्छा सागर की ले प्यास मरुँ,

पत्र गरल का ले जब अंतिम साकी है आनेवाला,

रहें मुबारक पीनेवाले, खुली रहे यह मधुशाला।।२०।

युग युग से है पुजती आई नई नहीं है मधुशाला।।५५।

रागिनियाँ बन साकी आई भरकर तारों का प्याला,

श्रम, संकट, संताप, सभी तुम भूला Hindi poetry करते पी हाला,

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